भारतीय : मूल भारतीय , प्रवासी भारतीय , विदेशी मूल के भारतीय , गैर भारतीय , दुश्मन भारतीय
हमने यहाँ ५ प्रकार लिखे है। आज ९ जनुअरी है। सर्कार प्रवासी भारतीय दिन सं २००३ से मना रही है। सर्कार कहती है ऐसी दिन गांधीजी १९१५ को साउथ अफ्रीका से भारत लौटे थे और फिर स्वतंत्रता संग्रम की बागडोर संभाली , भारत को आज़ादी दिलाई। देश के गद्दारो ने उसे ३० जनुअरी को गोली मारी , गाँधी मर गया , देश ने उन्हें राष्ट्रपिता माना।
गाँधी एक गैर ब्राह्मण हिन्दू थे। जनेऊ , चोटी पहले रखते थे , बाद में छोड़ दी थी। विदेशी ब्रह्मिनो को और उनके ब्राह्मण धर्म को सनातनी कहते थे और अपने आप को हिन्दू , हिंदुस्तानी। . इस हिसाब से गांधीजी मूल भारतीय थे , कुछ समय के लिए विदेश गए , फिर लौट आये। अच्छी बात है। वह हमने जो ऊपर ५ प्रकार लिखा उसमे मूल भारतीय प्रकार में आते है जैसे भारत के अन्य सभी गैर ब्राह्मण आते है।
डॉ आंबेडकर भी कभी पढ़ने के लिए गए थे , इंग्लैंड गए , अमेरिका गए वह वे प्रवासी भारतीय थे जो अपना काम खत होने के बाद वापिस आये। कुछ लोग जो ब्रिटिश लोगो ने जहा उनकी और भी सरकारथी वह मूल भारतीयों को मजदुर के हैसियत से ले गए और फिर वो मजदुर वही बस गए उसी राष्ट्र के हो गए पर वो भारतीय मूल के काहलये जैसे मारीशस में बसे मजदुर आज वहा सत्ता में है पर वो उसे अपना देश मानते है और वह के मूल लोगो को शूद्र , अस्पृश्य नहीं मानते। बराबर के मानते है। इन्हे हम दूसरा प्रकार प्रवासी भारतीय कह सकते है
अंग्रेज , डच पुर्तगाल , फ्रेंच भी भारत में व्यापर के लिए आये , फिर यहाँ के गद्दारो से साथ हाथ मिलकर सत्ताधारी भी बने , वे सब अपने आप को गैर भारतीय ही मानते रहे है।
ईरान , पर्शिया से कुछ ईरानी , पारसी आये यहाँ आश्रय माँगा , भारतीय हो गए पर आज भी वो अपना मूल नहीं भूले .
यहाँ हमें समस्या उन विदेशी ब्रह्मिनो से है जो मूल भारतीयों का शोसन कर रहे है। ब्राह्मण गैर भारतीय है , विदेशी है , आक्रमणकारी है , आतंकवादी है , वह हमें शूद्र , नीच , अस्पृश्य , दुय्यम मनाता है। पर इस समस्या पर सर्कार कुछ नहीं बोलती है। फिर ऐसे प्रवासी भारतीय दिन का अवचित्त क्या जब मूल भारतीय ही अगणित परेशानिया जेल रहे है ? मनाना है तो मूल भारतीय दिवस मानवो, विदेशी ब्राह्मण हटावो !
नेटिविस्ट डी.डी.राउत
अध्यक्ष
नेटिव रूल मूवमेंट
हमने यहाँ ५ प्रकार लिखे है। आज ९ जनुअरी है। सर्कार प्रवासी भारतीय दिन सं २००३ से मना रही है। सर्कार कहती है ऐसी दिन गांधीजी १९१५ को साउथ अफ्रीका से भारत लौटे थे और फिर स्वतंत्रता संग्रम की बागडोर संभाली , भारत को आज़ादी दिलाई। देश के गद्दारो ने उसे ३० जनुअरी को गोली मारी , गाँधी मर गया , देश ने उन्हें राष्ट्रपिता माना।
गाँधी एक गैर ब्राह्मण हिन्दू थे। जनेऊ , चोटी पहले रखते थे , बाद में छोड़ दी थी। विदेशी ब्रह्मिनो को और उनके ब्राह्मण धर्म को सनातनी कहते थे और अपने आप को हिन्दू , हिंदुस्तानी। . इस हिसाब से गांधीजी मूल भारतीय थे , कुछ समय के लिए विदेश गए , फिर लौट आये। अच्छी बात है। वह हमने जो ऊपर ५ प्रकार लिखा उसमे मूल भारतीय प्रकार में आते है जैसे भारत के अन्य सभी गैर ब्राह्मण आते है।
डॉ आंबेडकर भी कभी पढ़ने के लिए गए थे , इंग्लैंड गए , अमेरिका गए वह वे प्रवासी भारतीय थे जो अपना काम खत होने के बाद वापिस आये। कुछ लोग जो ब्रिटिश लोगो ने जहा उनकी और भी सरकारथी वह मूल भारतीयों को मजदुर के हैसियत से ले गए और फिर वो मजदुर वही बस गए उसी राष्ट्र के हो गए पर वो भारतीय मूल के काहलये जैसे मारीशस में बसे मजदुर आज वहा सत्ता में है पर वो उसे अपना देश मानते है और वह के मूल लोगो को शूद्र , अस्पृश्य नहीं मानते। बराबर के मानते है। इन्हे हम दूसरा प्रकार प्रवासी भारतीय कह सकते है
अंग्रेज , डच पुर्तगाल , फ्रेंच भी भारत में व्यापर के लिए आये , फिर यहाँ के गद्दारो से साथ हाथ मिलकर सत्ताधारी भी बने , वे सब अपने आप को गैर भारतीय ही मानते रहे है।
ईरान , पर्शिया से कुछ ईरानी , पारसी आये यहाँ आश्रय माँगा , भारतीय हो गए पर आज भी वो अपना मूल नहीं भूले .
यहाँ हमें समस्या उन विदेशी ब्रह्मिनो से है जो मूल भारतीयों का शोसन कर रहे है। ब्राह्मण गैर भारतीय है , विदेशी है , आक्रमणकारी है , आतंकवादी है , वह हमें शूद्र , नीच , अस्पृश्य , दुय्यम मनाता है। पर इस समस्या पर सर्कार कुछ नहीं बोलती है। फिर ऐसे प्रवासी भारतीय दिन का अवचित्त क्या जब मूल भारतीय ही अगणित परेशानिया जेल रहे है ? मनाना है तो मूल भारतीय दिवस मानवो, विदेशी ब्राह्मण हटावो !
नेटिविस्ट डी.डी.राउत
अध्यक्ष
नेटिव रूल मूवमेंट
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