झुटा पेशवा : झुटा ज्ञानबा :

मुग़ल  बादशाह को जुते पहनाने वाले दरबारी नौकर को मुग़ल लोग पेशवा कहते थे जो रोज बादशाह के जुते उतारते थे , पहनाते थे।  शिवाजी महाराज ने शुर सरदारों का अष्ट प्रधान मंडल बनाया था जो सभी तन्खा पाते थे।  पेशवा का काम था महाराज के जुते की रखवाली , पहनना , उतरना।  इस से ज्यादा कुछ नहीं।  यह नाम उन्हों ने मुग़ल , फ़ारसी से लिया था।  प्रधान मंत्री को वजीर कहा जाता है।  सेनापति को सिपाह सालार ! अष्ट प्रधान में पेशवा की कोई हैसियत हो ही नहीं सकती।

ये तो वैसा ही हुवा जैसे ज्ञानबा की मेख यानि बढ़ा चढ़ा कर बताना जैसे ज्ञानबा को बताया गया था।  गीता का अनुवाद किसी और ने किया था मराठी में उसका परायण कहा जाता है ज्ञानबा किसी मंदिर में करते थे जिस में कोई मूल भारतीय आता जाता नहीं था या गैर ब्राह्मण लोगो को अनादर आना मना था।  ऊपर से ऐसे जुट गड़े गए जैसे ज्ञानबा ने दिवार चलायी , पेट की गर्मी से दोसे पकाये ,भैसे से वेद कहलावे। ये सब ज्ञानबा की मेख यानि झुट है।  वैसे ही पेशवा कोई बड़ा नौकर था ये भी झुट  है।  विदेशी ब्राह्मण बड़े झूटे है।

नेटिविस्ट डी.डी.राउत ,
अध्यक्ष ,
नेटिव रूल मूवमेंट

हमारा देश को सन्देश : जनेऊ छोडो , भारत जोड़ो !

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